कितना प्यारा और मासूम
होता है बचपन
न इसका कोई
मजहब
प्यार
ही
इसका ईमान
दो मीठे बोल
थोडी सी मुस्कान
उसपे ही हो जाता
बचपन कुरबान
न मँहगें गिफ़्टस
न ब्रांड़ेड कपडों की डिमांड़
थोडी सी चाँकलेटस
और गुब्बारों मैं
खिलखिलाता है बचपन
न रिशतों के बंधन
न भेद अमीर -गरीब का
जो भी हँसके बोल दे
उसका ही हो जाता बचपन
कितना प्यारा प्यारा और मासूम
होता है बचपन
...राधा श्रोत्रिय"आशा"
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